Best Khamoshi Shayari in Hindi – 2 लाइन खामोशी शायरी

Sometimes, the deepest feelings are the ones we can’t say out loud. Khamoshi Shayari in Hindi is all about expressing those hidden emotions—feelings of love, pain, and sadness that we keep silent. In Hindi Shayari, silence becomes a way to speak without words, showing what we feel in our hearts when we can’t find the right words.

In this blog, we will explore the top Khamoshi Shayari in Hindi. You will find beautiful lines to express your silent feelings in a poetic manner.

Best Khamoshi Shayari lines

मुझ को अपने जैसे ही पसंद हैं
खामोश। साधा। मंफरिद और तनहा।.

है ये खामोशी आख़िरी हरबा
अब ना माना तो हार जाऊँगा मैं.

तेरे खामोश होंठों पर मोहब्बत गुनगुनाती है
तू मेरी है, मैं तेरा हूँ बस यही आवाज़ आती है.

कितनी खामोश उसकी मुस्कुराहट थी
शोर बस आँख की नमी में था.

दरून-ए-रूह पड़ी है___ख़ामोशी खामोशी
मैं बोलता भी बहुत हूँ मगर निकलती नहीं.

आलम-ए-तख़लीक़ के इस हैरत-कोदे में ए अदम!
जिसको जितनी आगही थी उस क़दर खामोश था.

बात कहे देते हैं नाज़ से इशारे अकसर
कितनी खामोश मोहब्बत की ज़बानें होती हैं.

ख़ामोश है गाँव तेरी हिजरत के ही दिन से
पेड़ों पे परिंदे भी तेरे बाद न बोले.

महफ़िल खामोश है साहब।
कहाँ गए टूटे हुए लोग।.

कभी खामोशी की चीख़-ओ-पकार सुनना
तुम्हें सब्र की हक़ीकत पता चल जाएगी.

Rishte Khamoshi Shayari in Hindi

Rishte Khamoshi Shayari in Hindi

महफ़िल खामोश है आज
टूटे हुए लोग कहाँ हैं.

रुत्बा तो खामोशियों का होता है
अल्फाज़ तो बदल जाते हैं लोग देख कर.

मैंने कुछ पल खामोश रह कर देखा है
मेरा नाम तक भूल गए मेरे साथ चलने वाले.

मर्शद! मैं लड़ नहीं सका पर चीखता रहा
खामोश रह कर ज़ुल्म का हमसाया नहीं बना.

ये भी हो सकता है वाज़, कि मेरी खामोशी
तेरी बरसों की इबादत से भी अफ़ज़ल निकले.

कोई ऐसा जो घबराए मेरी खामोशी से
किसी को समझ आए मेरे लहजे का दुख.

इतना दर्द तो मरने से भी न होगा
जितना दर्द तेरी खामोशी ने दिया है.

कितनी दिलकश है खामोशी उसकी
सारी बातें फिजूल हों जैसे.

बहुत खामोश लोगों से
बहुत उलझा नहीं करते.

वो किताबों से अल्फाज़ों का जंगल उठा लाया है
सना है, आज मेरी खामोशी का तर्जुमा होगा.

क्यों करते हो इतनी खामोश मोहब्बत हमसे
लोग कहते हैं इस बेचारے का कोई नहीं.

khamoshi shayari in Hindi text

चेहरा मेरा था, निगाहें उसकी
खामोशी में भी वो बातें उसकी.

जिस रात तुम्हारा किसी से बात करने को जी न चाहें
उस रात तुम मुझे फोन करना और खामोश रहना.

फारिग़ न जानिए मुझे मसरूफ-ए-जंग हूँ
उस चुप से जो कलाम से आगे निकल गई.

कोई हमारी खामोशी का भी मस्तहिक़ नहीं होता
और हम उसे एहसासात के तर्जुमे सुना रहे होते हैं.

ठहरी है खामोशी ही अगर तर्ज-ए-गुफ़्तगू
खामोश रह के तुझ को पुकारा करेंगे हम.

तेरे इश्क़ पर ढलते हैं मेरे शाम के किस्से,
खामोशी से मांगी___ हुई दुआ हो तुम.

अजब हालत हमारी हो गई है
यह दुनिया अब तुम्हारी हो गई है.

सुखन मेरा उदासी है सर-ए-शाम
जो खामोशी पे तारी हो गई है.

मेरे दिल से पूछ तेरे हुस्न में क्या रखा है
फूल से चेहरे में शोले को छुपा रखा है.

खामोशी शायरी 2 लाइन

खामोशी शायरी 2 लाइन

तुम्हें ये ही लगता है ना हम तुम्हारे हुस्न पे मरते हैं
तो चले जाओ जब हुस्न ढल जाए तो लौट आना.

क्या बताऊँ मैं तुम को मेरा यार कैसा है
चाँद सा नहीं है वो चाँद उसके जैसा है.

तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के आगे सब कुछ फीका लगता है
जब तुम साथ होती हो तो दर्द भी मीठा लगता है.

क्या देखेंगे हम जल्वा महबूब कि हमसे
देखी न गई देखने वाले की नज़र भी.

इक तेरी खामोशी मार देती है मुझे
बाकी सब अंदाज़ अच्छे हैं तेरी तस्वीर के.

बे वजह खामोश नहीं हूँ मैं
कुछ तो बर्दाश्त किया होगा मैंने.

अदब कीजिए हमारी खामोशी का
आप की मक्कारी को छुपाए फिरते हैं.

खामोशी से करीब आकर, बाँहों में भर लेना
मुहब्बत करने वालों का, अजब अंदाज़ होता है.

तुझ पर अल्फाज़ नहीं वारेंगे
अब तुझे खामोशी से मारेंगे.

वो मेरी खामोशी नहीं सुनता
मुझ से आवाज़ नहीं दी जाती.

खामोश ज़िंदगी जो बसर कर रहे हैं हम
गहरे समंदरों में सफर कर रहे हैं हम.

मैंने समंदर से सीखा है जीने का तरीका
चुपचाप से बहना, और अपनी लहर में रहना.

लोग शोर से उठ जाते हैं
मुझे तेरी खामोशी सोने नहीं देती.

कितनी लंबी खामोशी से गुज़रा हूँ
इन से कितना कुछ कहने की कोशिश की.

Latest Shayari On Khamoshi

यार सब जमा हुए रात की खामोशी में
कोई रो कर तो कोई बाल बना कर आया.

रफ़्ता रफ़्ता अल्फाज़ गूँगे हो गए
और गहरी हो गईं खामोशियाँ.

बे मकसद महफ़िल से बेहतर तन्हाई
बे मतलब बातों से अच्छी खामोशी.

खामोशी के नाख़ून से छिल जाया करते हैं
कोई फिर इन ज़ख्मों पर आवाज़ें मिलते हैं.

शोर शराबा रहता था जिस आँगन में
आज वहाँ से बस खामोशी निकली है.

कहो क्या बात करती है कभी सहरा की खामोशी
कहा इस खामोशी में भी तो एक तक़रीर होती है.

मेरी खामोशी पे थे जो ताना ज़न
शोर में अपने ही बहरे हो गए.

खामोशी में चाहे जितना बेगानापन हो
लेकिन एक आहट जानी पहचानी होती है.

मेरी खामोशियों में लरज़ां है
मेरे नालों की गुमशुदा आवाज़.

अंदर ऐसा हबस था मैंने खोल दिया दरवाज़ा
जिसने दिल से जाना है वो खामोशी से जाए.

सुनती रही मैं सब के दुख खामोशी से
किस का दुख था मेरे जैसा भूल गई.

वो जिस ने अश्कों से हार नहीं मानी
किस खामोशी से दरिया में डूब गई.

ग़लत बातों को खामोशी से सुनना हामि भर लेना
बहुत हैं फायदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता.

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