100+ Islamic Shayari in Hindi – Best 2 Line Poetry

Islamic Shayari (poetry) is a type of poetry that expresses themes related to Islam. Many poets, such as Mirza Ghalib and Allama Iqbal, have used this style to share their thoughts and emotions. Their lines reflect the beauty of Islam and a deep love for Allah. This poetry often conveys feelings of love, spirituality, mercy, and the greatness of Allah, serving as a powerful expression of faith and devotion.

In this blog post, we share Islamic Shayari in Hindi that will enrich your life. Let’s explore our collection and pick your favourite lines.

A man praying with lines of Islamic shayari in the background.

सर हो सजदे में दिल में दग़ा बाज़ी हो
ऐसे सजदे से भला कैसे ख़ुदा राज़ी हो.

डूबते डूबते जब ख़ुदा की तरफ़ ध्यान गया
लेकर साहिल की तरफ़ खुद मुझे तूफ़ान गया.

इज़्ज़त करना तर्बियत है कमज़ोरी नहीं
मआज़रत करना हुस्न-ए-अख़्लाक़ है ज़िल्लत नहीं.

अल्लाह के हर फैसले में हमारी बेहतरी होती है
इसलिए शिकवा नहीं, शुक्र अदा किया करें.

जिनका भरोसा अल्लाह हो
उनकी मंजिल कामयाबी है.

अल्लाह पर यकीन सख़्त अंधेरे में भी
रोशनी पैदा कर देता है.

ख़ामोश रहो, सिर्फ़ ख़ुदा ही है
जो तुम्हारे दिल का बोझ उतार देगा.

बेहतर सुबह वही होती है
जो अल्लाह के ज़िक्र से शुरू की जाए.

ज़बान का कहा दुनिया सुनती है
और दिल का कहा अल्लाह सुनता है.

अख़्लाक़ का अच्छा होना
ख़ुदा से मोहब्बत की दलील है.

दुआएँ रद्द नहीं होतीं
सिर्फ़ बेहतरीन वक़्त पर क़बूल होती हैं.

दिन की पहली फतह
फज्र की नमाज़ पढ़ना है.

जिस दिल में दीन ज़िंदा हो
वो दिल कभी मायूस नहीं होता.

लोगों से हसद करना छोड़ दें
इज़्ज़तें अल्लाह देता है इंसान नहीं.

हालात कैसे भी हों
मेरा अल्लाह रास्ते निकाल ही देता है.

ख़ुदा अगर दे तो कोई छीन नहीं सकता
अगर वो छीन ले तो कोई दे नहीं सकता.

Beautiful Islamic Shayari

100+ Islamic Shayari in Hindi - Best 2 Line Poetry

नसीब कैसा भी हो
सिर्फ़ नमाज़ और दुआ से मदद लिया करो.

जो करता है अल्लाह करता है
और अल्लाह हमेशा अच्छा करता है.

बहुत नवाज़ा है हमारे ख़ुदा ने हमें
हमारे अमाल के बराबर मिलता तो शायद कुछ भी न मिलता.

की (محمدﷺ) से वफ़ा तूने तो हम तेरे हैं
ये जहाँ चीज़ है क्या, लऊह क़लम तेरे हैं.

मिलती नहीं महशर में किसी भी क़ीमत पर महलत
ऐ ज़िंदगी वालों, पढ़ लो अभी नमाज़ बहुत सस्ती है.

ख़ुदा को भूल गए लोग फिक्र रोज़ी में
तलाश़-ए-रिज़्क की है राज़िक का ख़्याल नहीं.

न अफ़सोस है तुझे न कोई शर्मिंदगी है
गुज़र रही है जो गुनाहों में, ये कैसी ज़िंदगी है.

ख़ुदा को एक मानते हैं लेकिन
ख़ुदा की एक तक नहीं मानते.

रिश्क करता है फलक ऐसी ज़मीन पर
जिस पे दो चार घड़ी ज़िक्र ख़ुदा होता है.

मिट जाए गुनाहों का तसव्वुर ही जहाँ से
अगर हो जाए यकीन कि ख़ुदा देख रहा है.

तौबा की उम्मीद पर हो चुके बहुत गुनाह, या अल्लाह
महलत तो मिल रही है, तौफीक़ भी अता कर.

कितना सुकून देता है उस जगह बैठ के रोना
जहाँ अल्लाह के सिवा कोई सुनने वाला न हो.

जिसने ख़ुशी में अपने अल्लाह का शुक्र अदा किया
उसने ग़म में अपने अल्लाह को अपने क़रीब पाया.

तुम यहाँ मेरी तिलावत किया करो
मैं क़बर में तुम्हारी हिफाज़त किया करूंगा.

हमारा हर काम आसान होगा
जिस दिन का पहला काम नमाज़ होगा.

Islamic Shayari By Allama Iqbal

Islamic shayari in Hindi by Allama Iqbal, accompanied by his visual.

ढूँढता फिरता हूँ ए इक़बाल अपने आप को
आप ही गोया मुसाफ़िर, आप ही मंजिल हूँ मैं.

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम, वतन है हिंदुस्तान हमारा.

बुतों से तुझ को उम्मीदें, ख़ुदा से नुमेदी
मुझे बता तो सही, और काफ़िरी क्या है.

तेरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया
यहाँ मरने की पाबंदी, वहाँ जीने की पाबंदी.

दुनिया की महफ़िलों से एकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ एंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो.

हया नहीं है ज़माने की आँख में बाकी
ख़ुदा करे कि जवानी तेरी रहे बेदाग़.

ख़ुदी को कर बलंद़ इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे, बता तेरी रज़ा क्या है.

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
यह ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है.

Sad इस्लामिक शायरी हिंदी

Sad इस्लामिक शायरी हिंदी

लोगों की साज़िशें आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं
कुरान ने बताया है और तुम्हारा रब बेहतरीन चाल चलने वाला है.

मैत और क़ब्र को देखकर भी हम अपने अमाल दुरुस्त नहीं करते
क़ब्रिस्तान से वापसी पर हम यह समझते हैं कि बस इसी ने मरना था.

परेशानियाँ बढ़ जाएँ तो ख़ुदा के सामने रो लिया करें
बे शक वो सत्तर माँओं से ज़्यादा प्यार करने वाला है.

मुश्किल ओक़ात में गिर-गिर के सँभलना सीखो
ख़वाह जैसे भी हों हालात से लड़ना सीखो.

हम सब यह चाहते हैं कि हमारी मौत इमान पर हो
लेकिन यह क्यों नहीं चाहते कि हमारी ज़िंदगी इमान पर हो.

मदद सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह से माँगो
कामयाब हो जाओगे दुनिया में और आख़िरत में.

आंसू वो ख़ामोश दुआएँ हैं
जो सिर्फ़ रब ही सुन सकता है.

सर पर दुपट्टा रखने से औरत
अल्लाह पाक के साए में रहती है.

अल्लाह की राह बज़ाहिर काँटों से भरी मगर
दरहकीकत इत्मिनान और सुकून की दौलत से भरी पड़ी है.

सिर्फ़ पाकीज़ा जज़्बों की परख होगी सर महशर
गिनेगा कौन सजदों को, वज़ू पर कौन जाएगा.

यकीन ऐसा हो कि सामने समंदर हो
और तुम कहो कि रास्ता मेरा अल्लाह बनाएगा.

ख़ुदा की ज़ात पे हमको यकीन है वरना
दिए जलाकर हवाओं में कौन रखता है.

ख़ौफ-ए-ख़ुदा एक ऐसा चिराग़ है जिसमें
नैकी और बदी साफ़ नज़र आते हैं.

सब्र कर, यकीन रख, तो कर दिल से दुआ
वो रब तेरी दुआ सुनने का इंतज़ार कर रहा है.

अपनी परेशानियों को नज़रों में बदल दो
अल्लाह मसाइल को निअमत में बदल देगा.

जो शख़्स अल्लाह पर भरोसा करता है
तो अल्लाह उसके लिए काफ़ी हो जाता है.

Islamic Shayari for Copy Paste

इबादतें झुकने से मशरूत नहीं, नीयतों की पाबंद होती हैं
नीयतों में ख़ोट हो तो बरसों की रियाज़त बेकार जाती है.

दुनिया वाले चेहरे और माल को देखते हैं
अरश वाला दिल और आमाल को देखता है.

मुसीबत का वक्त भी अल्लाह तआला की एक बड़ी निअमत है
कि इंसान इसमें सब्र और शुक्र करना सीख जाता है.

उसके दर पे सुकून मिलता है, उसकी इबादत से नूर मिलता है
जो झुक गया अल्लाह के सजदे में, उसे दिल का सुकून ज़रूर मिलता है.

वह मेरे हक़ में बेहतर है या नहीं
ये मेरा रब जानता है, लोग नहीं.

और जो तुम्हें कोई भलाई पहुँचे, तो वो अल्लाह की तरफ़ से है
और जो तुम्हें कोई बुराई पहुँचे, तो तुम्हारे आमाल की वजह से.

कामयाब ज़िंदगी ये नहीं कि आप कितने ख़ुश हैं
बल्कि कामयाब ज़िंदगी ये है कि आपका रब आपसे कितना ख़ुश है.

क़यामत तक रहे सजदे में सर मेरा ऐ अल्लाह
कि ये ज़िंदगी तेरी निअमतों का शुक्र करने के लिए काफ़ी नहीं है.

बहुत मायूस था ज़िंदगी से
फिर आवाज़ आई, “हय अलल फ़लाह.

नमाज़ को मोहब्बत समझ के अदा करोगे
तो अल्लाह पाक अगली नमाज़ के लिए तुम्हें ख़ुद खड़ा कर देगा.

ऐ आतिश-ए-दोज़ख, न देख इतने ग़ज़ब से मुझ को
वह बड़ा रहीम है, जिस का गुनाहगार हूँ मैं.

वह ख़ुदा ही है जो एक सजदे से अपना बना लेता है
वरना ये इंसान तो जान के भी राज़ी नहीं होते.

Conclusion

हिंदी में इस्लामिक कविता विश्वास, प्रेम और आध्यात्मिकता की खूबसूरत अक्स पेश करती है। महान कवियों के कलाम के जरिए हमें कला और श्रद्धा के गहरे संबंध की याद दिलाई जाती है। हमें उम्मीद है कि इस संग्रह ने आपको प्रभावित किया है और आपको इस्लामिक विषयों की खूबसूरती के करीब लाया है। यदि आपके पास कोई सवाल है तो टिप्पणी करने में हिचकिचाहट न करें।.

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